Rendition by Shabnam Virmani: Link.
Rendition by Prahlad Singh Tipaniya: Link.
पियु जी बिना म्हारो प्राण पड़े, म्हारी हेली
जल बिन मछली मरे
हे कोन मिलावे म्हारा राम से, म्हारी हेली
हे रोई रोई रुदन करा
म्हारी हेली हो चालो हमारा देश…
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के सोतो तिरंग महेल में, म्हारी हेली
जाग्या रे जतन कराय
हे कोन मिलावे म्हारा राम से, म्हारी हेली
हे रंग भर सेज भिछाय
म्हारी हेली हो चालो हमारा देश…
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हा छोड़ी दो पियर सासरो, म्हारी हेली
छोड़ी दो रंग भरी सेज
छोड़ो पीताम्बर हो ओढ़लो, म्हारी हेली
हे कर लो रे भगवो भेस
म्हारी हेली हो चालो हमारा देश…
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हा एक भाण की वहा क्या पड़ी, म्हारी हेली
करोड़ भाण को प्रकाश
हे साहेब कबीर धर्मी बोलिया, म्हारी हेली
हे वोह तो शूली रे वालो देश
म्हारी हेली हो चालो हमारा देश…
संत कबीर